कर्मचारियों के लिए हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। इसके मुताबिक एक सत्र के लिए उन्हें मानदेय के रूप में 17 हजार रूपए मंजूर किए गए हैं। राज्य सरकार के तरफ से अनुदेशकों को 17 हजार रूपए मानदेय के रूप में उपलब्ध कराए जाएंगे।
हाईकोर्ट के इस महत्वपूर्ण फैसले से उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत (कर्मचारी) अनुदेशकों को बड़ा झटका लगा है। अनुदेशकों को एक सत्र के लिए केवल 17 हजार रूपए मानदेय कोर्ट द्वारा मंजूर किया गया है।
साथ ही अनुदेशकों को ब्याज के 9 फीसदी सहित 17 हजार रूपए मानदेय देने के एकल पीठ के फैसले को भी हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है।
सरकार ने एकलपीठ के फैसले को दी चुनौती
हाई कोर्ट की डबल बेंच के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की खंडपीठ द्वारा विशेष फैसले में राज्य सरकार की विशेष अपील पर फैसला दिया गया है।
अन्य राज्यों की तरह अनुदेशकों को 17 हजार मानदेय के ब्याज भुगतान करने के आदेश 3 जुलाई 2019 को एकल पीठ द्वारा दिए गए थे जिसे राज्य सरकार द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
एक सत्र के मानदेय पाने का अधिकार
हाईकोर्ट ने फैसला सुनते हुए कहा कि प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड से अनुदेशकों की नियुक्ति 1 साल के लिए होती है। ऐसे में 1 साल के लिए उन्हें 17 हजार रूपए मानदेय का लाभ दिया जाता है।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि एक सत्र के लिए संविदा पर हुई नियुक्ति के लिए उन्हें एक सत्र के मानदेय पाने का अधिकार है।हालाकि, मानदेय घटाने के खिलाफ अलग से याचिका दायर करने की छूट भी दी गई है।
27 हजार अनुदेशक को मिलेंगे लाभ
दरअसल उत्तर प्रदेश में उच्च प्राथमिक विद्यालय में 27 हजार अनुदेशक कार्यरत है। केंद्र सरकार द्वारा उनके मानदेय को 2017 में बढ़ाकर 17 हजार रूपए कर दिया गया था। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस नियम को लागू नहीं किया गया था।
जिसके बाद मानदेय को बढ़ाने की मांग अनुदेशक द्वारा हाईकोर्ट में की हुई थी। जिस पर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने अनुदेशक को 17 हजार रूपए मानदेय देने का आदेश दिया था।
साथ ही 2017 से 17 हजार मानदेय पर 9 फीसदी ब्याज देने के भी आदेश दिए थे। जिसमें राज्य सरकार द्वारा खंडपीठ के सामने याचिका दायर कर दी गई थी। इस खबर की पुष्टि biharteacher.org पर किया जा सकता है।
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