Education Minister of India: देश के शिक्षात्मक मामलों से निपटने के लिए सरकार द्वारा नियुक्त किये गए जिम्मेदार व्यक्ति को शिक्षा मंत्री कहा जाता है।
यह पद मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के महत्वपूर्ण मंत्रालयों में से एक है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय देश के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने में संतुलन के लिए उल्लेखनीय और उपचारी भूमिका निभाती है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय
भारत की शिक्षा प्रणाली मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत ही आती है। इसकी स्थापना 1961 के 174वें संशोधन के माध्यम से 26 सितम्बर, 1985 को किया गया था। शिक्षा मंत्री का पद और दायित्व बहुत महत्वपूर्ण होता है।
शिक्षा संबंधित प्रमुख फैसले और सभी गतिविधियों का आकलन शिक्षा मंत्री बखूबी करते है। देश के सभी विद्यार्थियों और युवाओं के शिक्षा की जिम्मेदारी शिक्षा मंत्री पर होती है।
शिक्षा मंत्री बनने के लिए काबिल और सफल राजनीती का ज्ञान तो होना ही चाहिए साथ ही साथ लोकसभा सदस्य का चुना हुआ प्रतिनिधि और मंत्रिमंडल का सदस्य भी होना चाहिए।
दो विभागों के माध्यम से शिक्षा मंत्रालय करता है कार्य?
- स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग
- उच्चतर शिक्षा विभाग
स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग देश में स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता के विकास के लिए उत्तरदायी है।
स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग का लक्ष्य ”शिक्षा के सार्वभौमिकरण” एवं युवाओं में से बेहतर नागरिक तैयार करना है।
इसके लिए, नियमित रूप से विभिन्न नई स्कीमें एवं पहलें की जाती हैं तथा अभी हाल ही में इन स्कीमों से स्कूलों में बढ़ते हुए नामांकन के तौर पर मिलना प्रारंभ हो गया है।
उच्चतर शिक्षा विभाग देश की उच्चतर शिक्षा एवं अनुसंधान में विश्व स्तरीय अवसर पैदा करने के कार्य में लगा हुआ है, ताकि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारतीय विद्यार्थी पीछे न रहें। ।
इस प्रयोजनार्थ, सरकार ने भारतीय विद्यार्थियों को वैश्विक मतों का लाभ प्रदान करने के लिए कई संयुक्त उपक्रम प्रारंभ किए हैं और समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर भी किए हैं।
Education Minister of India: शिक्षा मंत्रालय के 5 प्रमुख कार्य
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाना और उसका कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।
- संपूर्ण देश, जिसमें ऐसे क्षेत्र भी शामिल हैं जहां शिक्षा तक लोगों की पहुंच आसान नहीं है, में शैक्षिक संस्थाओं की पहुंच में विस्तार और गुणवत्ता में सुधार करने सहित सुनियोजित विकास करना।
- निर्धनों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों जैसे वंचित समूहों की ओर विशेष ध्यान देना।
- समाज के वंचित वर्गों के पात्र छात्रों को छात्रवृति, ऋण सब्सिडी आदि के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- शिक्षा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना जिसमें यूनेस्को तथा विदेशी सरकारों के साथ-साथ विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर कार्य करना शामिल है ताकि देश में शैक्षिक अवसरों में वृद्धि हो सके।
शिक्षा मंत्री के लिए कम से कम कितनी शैक्षणिक योग्यताओं की आवश्यक है?
शिक्षा मंत्री के लिए कम से कम पीएचडी होना चाहिए ताकि वो सही शिक्षा प्रणाली ला सके।
भारत जैसे विकासशील देश में आज एक सही और योग्य शिक्षा मंत्री की आवश्यकता है ताकि यहां की शिक्षा प्रणाली सही से काम करे और कोई भी अशिक्षित न रहे, लोग जितने शिक्षित होंगे देश उतना तरक्की करेगा
Education Minister of India | शिक्षा मंत्री दो प्रकार के होते हैं
1. केंद्रीय शिक्षा मंत्री
केंद्रीय शिक्षा मंत्री यानी केंद्र सरकार के मंत्री परिषद का सदस्य। भारत के शिक्षा मंत्री को भारत के प्रधानमंत्री नियुक्त करते है। लेकिन प्रधानमंत्री और पूरे मंत्री परिषद को भारत के राष्ट्रपति पद और गोपनीयता की शपथ दिलाते है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री (Education Minister of India) राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों दोनों की शिक्षा प्रणाली को संभालते हैं। शिक्षा से संबंधित सभी नीतियां बनाना।
देश भर में शिक्षा से जुड़े जितने भी नियम लागू होते हैं उन सबका भार केन्द्रीय शिक्षा मंत्री के अंतर्गत आता हैं।
शिक्षा के स्तर को बनाये रखना नयी खोजपूर्ण शिक्षा करते रहना जिससे भारत विश्व पटल पर प्रथम रहे
वर्तमान 2022 में केन्द्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान (Education Minister of India) हैं। 7 जुलाई 2021 को ध्रमेंद्र प्रधान ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री के रूप में शपथ थी।
नई शिक्षा नीति के अनुसार मानव संसाधन विकास मंत्री का नाम बदलकर शिक्षा मंत्री कर दिया गया है। इससे पहले इन्हें मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में जाना जाता था।
2. Education Minister of India: राज्य शिक्षा मंत्री
भारत में यह त्रीस्तरीय मंत्रीमंडल में प्रधानमंत्री तथा कैबिनेट मंत्री के बाद तीसरे स्तर का मंत्रीपद है।
राज्य शिक्षा मंत्री केबिनेट मंत्री के सहायक के रूप में कार्य करता है, ये कैबिनेट के मीटिंग में भाग नही ले सकता परन्तु सुविधाएं उसे केन्द्रीय मंत्री वाली ही मिलती है।
राज्य शिक्षा मंत्री विभाग का स्वतंत्र प्रभारी होता है और जरूरत पड़ने पर कैबिनेट की मीटिंग में अपनी बात रख सकता है ।
शिक्षा मंत्री की 5 बड़ी चुनौतियाँ
1– पहली से लेकर 12वीं तक के सवा लाख शिक्षकों की नियुक्तियां
2– स्कूलों में सभी बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की बहाली
3– स्कूलों में बच्चों की हो रही लगातार कमी को रोकना
4– स्कूलों-कॉलेजों में भी उपस्थिति बढ़ाना
5– योजनाओं का लाभ शिक्षक तथा बच्चों को समय पर पहुंचाना
राज्य शिक्षा मंत्री की 5 मुख्य प्रार्थमिकताएं
1– सरकारी स्कूलों की स्थिति को सुधारकर प्राइवेट से बेहतर बनाना ।
2– शिक्षकों प्रशिक्षित कर बच्चों को अपने ज्ञान का शत प्रतिशत दिलाना।
3– कोरोना काल में बाधित हुई पढ़ाई की भरपाई के लिए सशक्त माध्यम तैयार करना।
4– शिक्षण संस्थानों का पुराना गौरव लौटाना ।
5– शिक्षकों के लिए सुविधापूर्ण माहौल बनाना ताकि बच्चों को सही और उनके अनुसार शिक्षा देना।
* 1947 से 2022 तक भारत के शिक्षा मंत्रियों (Education Minister of India) के नाम और कार्यकाल
1. मौलाना अबुल कलाम आज़ाद 15 अगस्त 1947 से 22 जनवरी 1958 तक
2. डॉ. के. एल. श्रीमली (राज्य मंत्री) 22 जनवरी 1958 से 31 अगस्त 1963 तक
3. हुमायूं कबीर 01 सितम्बर 1963 से 21 नवम्बर 1963 तक
4. एम. सी. सी. छागला 21 नवम्बर 1963 से 13 नवम्बर 1966 तक
5. फखरुद्दीन अली अहमद 14 नवम्बर 1966 से 13 मार्च 1967 तक
6. डॉ. त्रिगुण सेन 16 मार्च 1967 से 14 फरवरी 1969 तक
7. डा. वी. के आर. वी. राव 14 फरवरी 1969 से 18 मार्च 1971 तक
8. सिद्धार्थ शंकर रे 18 मार्च 1975 से 20 मार्च 1972 तक
9. प्रो. एस. नूरुल हसन (राज्य मंत्री) 24 मार्च 1972 से 24 मार्च 1977 तक
10. प्रो. प्रताप चंद्र चंदर 26 मार्च 1977 से 28 जुलाई 1979 तक
11. डॉ. करन सिंह 30 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक
12. बी. शंकरंद 14 जनवरी 1980 से 17 अक्टूबर 1980 तक
13. एस.बी. चव्हाण 17 अक्टूबर 1980 से 08 अगस्त 1981 तक
14. शीला कौल (राज्य मंत्री) 10 अगस्त 1981 से 31 दिसम्बर 1984 तक
15. के.सी. पंत 31 दिसम्बर 1984 से 25 सितम्बर 1985 तक
16. पी. वी. नरसिंह राव (प्रधानमंत्री) 25 सितम्बर 1985 से 25 जून 1988 तक
17. पी. वी. नरसिंह राव (प्रधानमंत्री) 25 दिसम्बर 1994 से 09 फरवरी 1995 तक
18. पी. वी. नरसिंह राव (प्रधानमंत्री) 17 जनवरी 1996 से 16 मई 1996 तक
19. पी. शिव शंकर 25 जून 1988 से 02 दिसम्बर 1989वी.पी तक।
20. सिंह (प्रधानमंत्री) 02 दिसम्बर 1989 से 10 नवम्बर 1990 तक।
21. राजमंगल पांडे 21 नवम्बर 1990 से 21 जून 1991 तक।
22. अर्जुन सिंह 23 जून 1991 से 24 दिसम्बर 1994 तक।
23. अर्जुन सिंह 22 मई 2004 से 22 मई 2009 तक।
24. माधवराव सिंधिया 10 फरवरी 1995 से 17 जनवरी 1996 तक।
25. अटल बिहारी वाजपेयी (प्रधानमंत्री) 16 मई 1996 से 01 जून 1996 तक।
26. एस. आर. बोम्मई 05 जून 1996 से 19 मार्च 1998 तक।
27. डॉ. मुरली मनोहर जोशी 19 मार्च 1998 से 21 मई 2004 तक।
28. श्री कपिल सिब्बल 22 मई 2009 से 28 अक्टूबर 2012 तक।
29. एम.एम. पल्लम राजू 29 अक्टूबर 2012 से 25 मई 2014 तक।
30. स्मृति ईरानी 26 मई 2014 से 05 जुलाई 2016 तक।
31. प्रकाश जावडेकर 05 जुलाई 2016 से 30 मई 2019 तक।
32. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ 30 मई 2019 से 07 जुलाई 2021 तक।
33. धर्मेंद्र प्रधान 07 जुलाई 2021 से अब तक।
इसे भी पढ़ें>>>